– लाइव रिपोर्ट: जालोर के वीर वीरमदेव राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय का मामला
– कॉलेज के ऊपरी मंजिल की बहुत बुरी स्थिति, कई कमरों से पंखे गायब, खिड़कियों के शीशे टूटे हुए तो दरवाजों को प्लाई जोड़कर किया हुआ है ठीक
– लम्बे समय तक ऊपरी मंजिल में चली चुनावी प्रक्रिया, लेकिन मरम्मत नहीं करवाई
जालोर.
शीर्षक पढ़कर चौंकना लाजिमी है, लेकिन सत्यता भी यही है। यह दीगर बात है कि कॉलेज में कोई झरोखा नहीं है, लेकिन बदहाली और खिड़कियों के टूटे हुए शीशों से तो नजारे कुछ इसी प्रकार के दिखाई दे रहे हैं। हम बात कर रहे हैं जालोर के वीर वीरमदेव राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय की, जो इन दिनों बदहाली के दौर से गुजर रहा है। दरअसल, जालोर पीजी कॉलेज के ऊपरी मंजिल की हालत बदहाल बनी हुई है। लम्बे समय तक चुनावी प्रबन्धन प्रक्रिया में दिए जाने के बाद से ही इस मंजिल की दुर्दशा बनी हुई है। कमरों की खिड़कियों के शीशे टूटे हुए है। कई स्थानों से पंखे भी गायब है, अब यह पता नहीं कि पंखे कहाँ गए। इतना ही नहीं लम्बे समय से कई कक्षों के दरवाजों टूटे हुए है, जो प्लाई लगाकर ठीक किये गए है। रोशनदान में सीमेंट के छिड़काव किये है। समय पर सफाई का अभाव होने से कमरों में जाल के जंजाल बन गए है। कॉलेज स्तर से कभी उचित नहीं कही जा सकती। हालांकि सुखद पहलू है कि इस प्रकार की अव्यवस्था के बावजूद कॉलेज प्रशासन की ओर से कक्षाओं का नियमित संचालन किया जा रहा है। प्राचार्य डॉ रंजना जायसवाल की ओर से बेहतरीन मॉनिटरिंग की वजह से सभी कक्षाएं नियमित ली जा रही है, ताकि कोर्स पूरा हो सके। प्राचार्य की ओर से डेली डायरी में इसे दर्ज किया जा रहा है। हालांकि व्याख्याताओं की कमी के कारण हर विषय की पूर्ति सम्भव नहीं हो पा रही है, लेकिन फिर भी प्राचार्य बेहतरी को लेकर इसके लिए प्रयासरत है।
विकास के नाम पर दी गई शुल्क कर्मचारियों को बांट रही कॉलेज
आपको बता दें कि जालोर पीजी कॉलेज में इस साल करीब तीन हजार विद्यार्थी अध्ययनरत है। प्रत्येक विद्यार्थी से कॉलेज की ओर से चार सौ रुपए विकास शुल्क के नाम से हर वर्ष वसूले जाते है, इस वर्ष की राशि देखी जाए तो करीब सालाना बारह लाख रुपए हो रही है, यह राशि इस प्रकार की बदहाली को दूर करने के उपयोग में लेने के लिए होती है, लेकिन कॉलेज की ओर से इसमें से करीब 8 लाख रुपए कर्मचारियों पर खर्च की जा रही है। वो इसलिए कि राज्य सरकार की ओर से कर्मचारियों की भर्ती नहीं किये जाने के कारण कॉलेज की व्यवस्थाएं सुचारू रखने के लिए दिहाड़ी कर्मचारी रखे हुए हैं। इस कारण इन पर बड़ी राशि खर्च हो रही है।
सरकार की अनदेखी से कॉलेज की बदहाली
राज्य सरकार की ओर से जालोर पीजी कॉलेज की अनदेखी किये जाने के कारण यह बदहाली बनी हुई है। मंत्रालयिक कर्मचारी समेत प्रबन्धन व्यवस्थाएं सम्भालने के लिए पर्याप्त स्टाफ नहीं है। जिस कारण साफ सफाई समय पर नहीं हो पा रही है। जानकारी में सामने आया है कि चुनाव के लिए जब परिसर दिया था, उस दौरान इतना नुकसान नहीं था, लेकिन चुनाव में कई खिड़कियों के शीशे टूट गए, कई पंखे भी अब गायब है। ऐसे में अब इनके लिए एक अंकेक्षण टीम बनाई गई है