जालोर। जालोर षहर में पिछले दो दिन से सफाई व्यवस्था चरमा गई। इसका कारण था सफाईकर्मी अपनी मांगों को लेकर हडताल पर चले गए। वहीं नगरपरिशद प्रषासन बेफिक्र है। हालांकि उनका दावा है कि उन्होंने सफाईकर्मियों से वार्ता की, लेकिन वे नहीं मान रहे हैं। पर समन्वय और वार्ता में कमी के चलते षहर में मुख्य मार्ग व अन्य स्थानों पर गंदगी के ढेर लग गए।
गौरतलब है कि जालोर जिला मुख्यालय पर नगरपरिषद के सफाईकर्मियों की ओर से लगातार दो दिन से सफाई कार्य नहीं करने से स्थिति चिंताजनक बन गई है। सफाईकर्मियों से नगरपरिषद के सभापति गोविंद टांक और आयुक्त महिपालसिंह ने वार्ता की, लेकिन इस वार्ता का कुछ नतीजा नहीं निकला। शहर के मुख्य मार्गोें पर गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। सफाईकर्मियों की ओर से वाल्मीकि समाज सभा भवन के लिए जमीन की मांग की जा रही है, वहीं नगरपरिषद प्रशासन का कहना है कि यह मामला राज्य सरकार का है। हालांकि मामला चाहे कोई भी हो, लेकिन दो दिन तक शहर में सफाई नहीं होने से स्थिति सोचनीय बन गई है।
सफाईकर्मियों का कहना है कि हमने हडताल का अल्टीमेटम दिया
जालोर शहर में सफाईकर्मियों की हडताल को लेकर सफाईकर्मियों का कहना है कि उन्होंने अल्मीमेटम दिया था और उनकी वाजिब मांगे नहीं मानी जा रही है। वहीं नगरपरिषद आयुक्त का कहना है कि सफाईकर्मियों की ओर से कोई अल्मीमेटम नहीं दिया गया था। सफाईकर्मियों का कहना है कि वाल्मीकि समाज को सभाभवन के लिए जमीन आवंटन नहीं कर सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। जबकि कई समाजों को जमीनें आवंटित हो रखी है।
जालोर की आधी दुनिया ने पेश की मिसाल
जालोर शहर में घर-घर कचरा एकत्रित करने वाले टेम्पो भी बंद है। महिलाओं ने जिम्मेदारी का परिचय देते हुए कचरे को सडकों नहीं फेंका है। हालांकि उनका कहना है कि दो दिन से टैम्पो नहीं आने से घर में रखे कचरा पात्र भी भर गए हैं। वे चाहते है कि जल्द ही सफाईकर्मियों की हडताल समाप्त हो और सफाई कार्य फिर से सुचारू हो सके। शहरवासी सत्यजीत गहलोत ने बताया कि गली-गली सफाई करने वाले लोग समाज के मुख्य व्यक्ति है। दो दिन की हडताल से ही शहर की सफाई व्यवस्था चरमरा गई है। उनका सभी सम्मान करते हैं। हालांकि मुख्य चौहारों और बाजार में लोगों ने सडकों पर कचरा फेंका, जिसके ढेर लग गए। हरिदेव जोषी सर्कल पर सब्जी विक्रेताओं व अन्य दुकानदारों ने भी सडकों पर कचरा फेंका।
सफाईकर्मियों की ये है दो मुख्य मांग
जालोर नगरपरिषद में कार्यरत सफाईकर्मियों की मुख्य मांग तो वाल्मीकी समाज सभा भवन के लिए जमीन का आवंटन को लेकर है। उनका कहना है कि वाल्मीकि समाज पिछले कई सालों से इसके लिए मांग कर रहा है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। वहीं दूसरी मांग यह है कि वाल्मीकी समाज के अलावा जो भी लोग सफाईकर्मी बने हैं वे मूल सफाई कार्य को नहीं कर रहे हैं। उनमें से अधिकांश सफाईकर्मी अन्य कार्यालयों में ड्यूटी बजा रहे है। वहीं कुछ लोग सिफारिष लगाकर बगीचे, बंगलों व अन्य जगहों पर ड्यूटी बजाना चाहते हैं। जब सफाई करने में शर्म आ रही है तो सफाईकर्मी बने ही क्यों। इस मांग को लेकर भी सफाईकर्मी पहले ज्ञापन दे चुके हैं।
इनका कहना है
सफाईकर्मियों की वाल्मीकी समाज सभा भवन के लिए जमीन आवंटन की मांग को आगे भेज दिया हैं। इसमें निर्णय राज्य सरकार का ही होगा। वहीं सभी सफाईकर्मियों को सफाई कार्य में लगा दिया गया है। वाल्मीकी समाज के अलावा अन्य समाज के लोगों को सफाई कार्य पर लगाया है। हां, यह अलग बात है कि कुछ लोग अवकाष पर चले गए है।
- महिपालसिंह, आयुक्त, नगरपरिषद, जालोर