– 20 जनवरी, 2020 को नगरपरिषद की भूमि शाखा में आग लगने की घटना का मामला
– मामले में 6 आरोपियों को किया था गिरफ्तार
– नगरपरिषद एक साल बीतने के बावजूद इतना पता नहीं लगा पाई की जलने वाली फाइलें कितनी थी और किन किन लोगों या प्रकरणों की थी
– इधर, सरकार की दोहरी मानसिकता के खेल के कारण नगरपरिषद में अटके पड़े कई लोगों के कामकाज
– जालोर नगरपरिषद में 56 में से 47 मंत्रालयिक कर्मचारियों के पद रिक्त
दिलीप डूडी. जालोर
कामकाज को लेकर जलिर नगर परिषद कितनी संजीदा है, इसका अंदाजा आप एक घटना से लगा सकते हैं। दरअसल नगर परिषद में बीते वर्ष 20 जनवरी 2020 को आगजनी की एक घटना हुई थी, उस घटना में नगर परिषद की भूमि शाखा में रखी बड़ी संख्या में से काफी फाइलें जलकर राख हो गई थी। इस घटना से राजस्व रिकॉर्ड की भी बड़ी हानि हुई थी। इस घटना में पुलिस ने आरोपियों को तो गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन नगर परिषद 1 साल बीतने के बावजूद केवल इतना भी पता नहीं लगा पाई कि भूमि शाखा में जलने वाली फाइलों की संख्या कितनी थी और किन-किन की फाइलें जली थी। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि नगर परिषद का कामकाज कितना संजीदगी भरा है। यहां केवल नगर परिषद ही कठघरे में नहीं बल्कि सरकार की दोहरी मानसिकता भी यह जाहिर कर रही है कि जालोर के प्रति सरकार का रव्वैया ठीक नहीं है। यही वजह है कि नगरपरिषद के मंत्रालयिक कर्मचारियों के 56 में से 47 पद खाली पड़े है। कामकाज करने वाला कोई नहीं होने के कारण आमजन को भी परेशानी झेलनी पड़ती है।
फर्जीवाड़ा करने के लिए लगाई थी फाइलों में आग
दरअसल, 20 जनवरी 2020 को नगर परिषद जालोर की शाखा में आग लग गई थी। पुलिस की जांच में सामने आया कि डीगांव (रानीवाड़ा) निवासी भंवरलाल विश्नोई ने एक बोतल में पेट्रोल डालकर भूमि शाखा में आग लगाई थी। बाद में कोतवाली पुलिस की ओर से की गई जांच में एक आयुक्त, एक पूर्व आयुक्त, दो लिपिक, एक वकील भी इस प्रकरण में आरोपी बनाए गए। जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था। पूछताछ में यह भी सामने आया कि आग लगाने का मकसद पूर्व में किए गए फर्जीवाड़े की फाइलें जलाना था। साथ ही कुछ ऐसी फाइलें भी थी, जिनके नाम पर भविष्य में फर्जी पट्टे जारी कर बड़ा राजस्व नुकसान पहुंचाने की मंशा थी। पुलिस ने कम समय में ही मामले का पर्दाफाश कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन नगर परिषद यह काम नहीं कर पाई कि उक्त कक्ष में कितनी फाइलें थी, कितनी फाइलें जल गई थी और जली हुई फाइलें किन-किन लोगों की थी। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि नगरपरिषद कितना काम कर रही है।शहर के कई ऐसे लोग हैं जिनको यह पता भी नहीं है कि उनके भूखंडों की फाइल अब नगर परिषद में उपलब्ध है या नहीं।भविष्य में जरूरत के समय परिषद में उनकी फाइलें उपलब्ध नहीं होती है तो नगर परिषद उन लोगों के साथ में किस प्रकार से व्यवहार करेगी यह स्वतः ही समझ सकते हैं।
शेष फाइलों का काम भी है अधूरा
भूमि शाखा के कमरे में बड़ी संख्या में फाइलें रखी हुई थी, इन फाइलों में से काफी फाइलें जल गई थी। जबकि कई फाइलें ठीक पड़ी थी। इन ठीक पड़ी फाइलों को नगर परिषद की ओर से अब ऑनलाइन करने की प्रक्रिया भी अपनाई जा रही है, लेकिन सरकार की मानसिकता विपरीत होने के कारण यहां कामकाज भी अटका हुआ है। दरअसल, नगर परिषद में मंत्रालयिक कर्मचारियों की बड़ी संख्या में पद रिक्त है। जिस कारण यहां का कामकाज अटका हुआ है। नगर परिषद में मंत्रालयिक कर्मचारियों के 56 में से 47 पद रिक्त पड़े हैं। लिहाजा कामकाज को लेकर बड़ी परेशानी हो रही है। नगर परिषद के आयुक्त की ओर से 21 जनवरी 2021 को सरकार को एक पत्र लिखकर पद रिक्त पूर्ति की भी मांग की गई है। जिसमें बताया है कि आगामी समय में प्रशासन शहरों के संग अभियान होने प्रस्तावित है। ऐसे में पद रिक्तता के कारण विभिन्न प्रकार के नगर परिषद के कार्य करने में मुश्किल का सामना करना पड़ेगा।
नगरपरिषद में ऐसी है पदों की स्थिति
पदनाम स्वीकृत पद रिक्त
ओए 2 2
व. लिपिक 8 8
क. लिपिक 16 14
एईएन 2 2
जेईएन 4 3
सफाई निरीक्षक 2 2
रोशनी निरीक्षक 1 1
कंप्यूटर ऑपरेटर 3 3
फायरमैन 18 12
इनका कहना है….
मैं इस प्रकरण का अनुसंधान अधिकारी था। इसमें हमने 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। भंवरलाल विश्नोई ने पेट्रोल छिड़ककर आग लगाई थी। ताकि फाइलें जलने के बाद फर्जीवाड़ा कर पट्टे जारी कर सकें। गिरफ्तारियों के बाद इस मामले की जांच बदलकर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जालोर को दी गई थी।
– बाघसिंह, सीआई व तत्कालीन कोतवाल, जालोर
नगरपरिषद में आग की घटना के बारे में अभी अनुसंधान का दायित्व मुझे दिया हुआ है। अनुसंधान जारी है, लेकिन कार्रवाई पर न्यायालय की रोक है।
– एसपीसिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, जालोर
आग लगने की घटना में काफी फाइलें जल गई थी, सुरक्षित बची फाइलों को तो ऑनलाइन करने का प्रयास कर रहे है। लेकिन अंदर जो फाइलें जली है, वो कितनी थी और किन किन लोगों की थी, इस बारे में हम स्पष्ट नहीं कर पाए है। क्योंकि फाइलों का रजिस्टर भी जल गया था। इसकी जानकारी जुटाने के लिए नए विकल्प पर विचार कर रहे है। नगरपरिषद में कर्मचारियों की कमी के कारण कामकाज में दिक्कत होती है। सरकार को पत्र लिखकर कर्मचारी लगाने का निवेदन किया है।
– महिपालसिंह, आयुक्त, नगरपरिषद जालोर